किसी रोज़ यूँ भी होगा,
तुम बैठोगी मेरे कमरे की खिड़की पर,
और आसमां पर लटका चाँद शरमा जायेगा !!!!
कि होगा कुछ यूँ भी,
तुम गुनगुनाओगी कोई नगमा अपने बाल बनाते हुए,
और हवा में खुशबू खिल पड़ेगी, फ़ैल जाएगी !!!
हाँ, होगा ये भी,
जब लुढ़काओगी चावल से भरा हुआ वो कलश अपने पैरों से ,
ये घर तुम्हारी बासमती से महक उठेगा !!!!
और ये तो हर रोज़ होगा,
जब इबादत में झुकेंगी हमारी नज़रें,
हर नूर बरस उठेगा , हम दोनो की ज़िंदगी में|
मुझे इंतज़ार है उस दिन का , हाँ इंतज़ार !!!!
ऐसे ही बैठकर फिल्मी ख़याल लिखते रहे तो हो चुकी वेटिंग कन्फर्म .
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंबहुत सुन्दर प्यारभरी रचना...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ...
:-)
शुक्रिया !!!!
हटाएंBeautiful refreshing verse!
जवाब देंहटाएंThanks !!! :)
हटाएंहाँ, होगा ये भी,
जवाब देंहटाएंजब लुढ़काओगी चावल से भरा हुआ वो कलश अपने पैरों से ,
ये घर तुम्हारी बासमती से महक उठेगा !!!!... छुईमुई से भाव
kaash ye maine likha hota....
जवाब देंहटाएंअरे ऐसे कैसे :)
हटाएंकुछ बातें तो एक्सक्लूजिव होती हैं दोस्त :)
http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/10/blog-post_18.html
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रश्मि जी !!!
हटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !!!!
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
हटाएंछोटी छोटी ख्वाहिशों से ही ये ज़िंदगी महकती है, खिलती है...निखरती है...~बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएं~सादर !
हाँ ज़िंदगी की इन्ही ख्वाहिशें ही जीते रहने के लिए काफी होती हैं और हम ना जाने कहाँ कहाँ खोये रहते हैं !!!
हटाएंAameen!!! :)
जवाब देंहटाएंइंशा अल्लाह !!!!
हटाएंबहुत ही सुन्दर....:)
जवाब देंहटाएंकौन ??? :) :)
हटाएंबासमती महक :)
जवाब देंहटाएंअच्छा है ....
शुक्रिया !!!
हटाएंएक प्यारी सी रचना...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनुराधा जी !!
हटाएंबड़ा प्यारा खूबसूरत सा इतंजार है !
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंwaah! kya baat.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दोस्त !!!
हटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यशवंत भाई !!!
हटाएं
जवाब देंहटाएंतुम्हारे काबिल दोस्त भी इंतजार पसंद हैं और लिखते हैं
उसकी बिंदी के तो हिलने का
मैं इंतज़ार करता था, की कब वो
हल्का सा हिले और मैं बोलूँ
की "रुको! बिंदी ठीक करने दो"।
तुम भी लिखते हो इंतजार का शंखनाद कर रहे हो। देश की ’जुवा’ पीढ़ी कब तक इंतजार करेगी?
अब देख लीजिये , पूरी पीढ़ी ही इंतज़ार में लगी पड़ी है, कुछ करना पड़ेगा कोई आन्दोलन चला देते हैं !!! :) :)
हटाएंआगे बढ़ो जवान. हम तुम्हारे साथ हैं :)
हटाएंintzaar pura ho...ye shubhkamnyen..:)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद , हम भी इसी इंतज़ार में हैं :) :)
हटाएंकल 21/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत भाई !!!
हटाएंबहुत सुन्दर है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
हटाएंबहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !!!!
हटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंये घर तुम्हारी बासमती से महक उठेगा !!!!
यकीनन होगा...ज़रूर होगा...
वो पढ़ ले ये नज़्म..बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स
अनु
बस !!! यही बस :)
हटाएंWaah, aisa jaroor hoga...aameen...
जवाब देंहटाएंBahut sundar khayal...
shukriya bhai !!!
हटाएंसुंदर भावों से सजी रचना... एक नजर इधर भी... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंthanks Kuldeep!!!
हटाएंwah !khubsoorat sooch....jaroor mehkega apka ghar angan....
जवाब देंहटाएंshukriya !!!
हटाएंबहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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