मंगलवार, 30 अगस्त 2011

मोम सी जिंदगी…

एक टुकड़ा आस की वो सिहरन,
कि जब ये अहसास हो,
दूरी हमारे बीच कुछ बढ़ सी गयी है|
आ गयी है चटक उस रिश्ते में,
जो पाक था दोनों ही दिलों में,
और नज़रों में  बसा  वो अँधेरा,
चादर पे पड़ी कोई सलवट तो नहीं,
जिसे कोई सीधाकर हटा दे|

रोशनी और आग,
दोनों लिए एक मोमबत्ती,
जिसका मोम खत्म ना होता हो,
बस घटता रहता हो,
कुछ उसी तरह जीता हूँ अब,
दिखता खुश एक आग समेटे,
और मोम बन घटे जा रही है
ये जिंदगी “तुम" बिन….बस!!!!
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-- देवांशु

गुरुवार, 11 अगस्त 2011

उसी का साया…

 

alone_departed इस दिल को कभी कोई इतना नहीं था भाया
कि बस वो लगे अपना बाकी हर कोई पराया,
है दूर मुझसे यकीनन तो क्या हुआ,
चलता है आज भी मेरे साथ उसी का साया||


कुछ मौसम यूँ बदला कि बस तन्हाई साथ है,
दिल में उसी की हलचल, होठों पे उसी की बात है,
इस मोहब्बत ने भी हमसे क्या क्या न करवाया,
चलता है आज भी मेरे साथ उसी का साया||

 
इस रात में गर साथ है, तो बस उसी कि यादें,
तन्हाई है तराना अपना, हर साज़ उसी की यादें,
अब तक सिर्फ मैंने उसे ही है अपनाया,
चलता है आज भी मेरे साथ उसी का साया||

सोमवार, 8 अगस्त 2011

महकती सी याद…

एक पुराना गुलाब,
जब निकला मेरी किसी किताब से,
महक उठा मेरा सारा जहाँ|
कुछ पंखुड़ियों में ही सही,
पर वो तुम्हारा सारा प्यार,
आज भी मेरे पास,
कितना रोशन  है|
purana-gulab
पर जब हाथ से उठाकर,
चूमना चाहा उसे,
तो एक टुकड़ा, वैसे ही
टूट कर,
अलग हो पड़ा,
जैसे कतरा-कतरा,
तुम मुझसे दूर होती गयीं|

रख दिया है सहेज कर,
उसे फिर उसी किताब में,
कि फिर कभी
एक और टुकड़ा तोडूंगा ,
और फिर  से जियूँगा,
आज तो जिंदगी,
महज़ इतनी ही काफी है….
-देवांशु