सोमवार, 28 मार्च 2011

पुराना, नया सा …


हैं तरन्नुम नए, हैं बहाने नए ,
हर राह में मिलते फ़साने नए,
हैं छोड़ गए थे अपनी यादें बस अब,
अफसाने बन गए हैं पुराने, नए|

खिला फूल मोहब्बत का हर बाग में,
है दिल जल रहा सिर्फ मोहब्बत की आग में,
है राग लगा दिल गुनगुनाने नए,
अफसाने बन गए हैं पुराने, नए|

सर चढ के बोल रहा मोहब्बत का खुमार है,
हर तरफ फैला सिर्फ प्यार ही प्यार है,
हर  चेहरे  दिख रहे हैं अनजाने नए,
अफसाने बन गए हैं पुराने, नए|

थमी धडकने न जाने किसके इंतज़ार में ,
दिल भी डूबा न जाने किसके प्यार में,
सुनाता है    सन्नाटा भी  तराने नए ,
अफसाने बन गए हैं पुराने नए!!!
                                                              -- देवांशु

रविवार, 6 मार्च 2011

कमी “ तुम" की….

ये जिंदगी तब से रोशन है ,
जब से तुमको जाना है|
है सांसों की बदली परिभाषा ,
जब से तुमको जाना है|
तुम करीब होतीं तो तुमसे ज़रूर कहता…
मैंने सिर्फ तुमको अपना माना है…..

जिंदगी का मकसद सिर्फ जीना तो नहीं,
साथ में कुछ खोना और पाना  है,
कभी हंसना, कभी हंसाना,
कम रोना और खूब गुनगुनाना है|
पर बिन तुम्हारे इनमे से मिलेगा क्या??
मकसद मेरा बहुत कुछ यही कि तुम्हे अपनाना है|
तुम करीब होतीं तो तुमसे ज़रूर कहता…
मैंने सिर्फ तुमको अपना माना है…..

एक दिन  की  बात तो याद होगी तुम्हे,
कहीं भाग जाने कि सोंची थी हमने|
फिर बनाये बातों के दरिये, खाबों के पुल,
दिखने लगे हर पल सुनहरे, लगे हर दिन चमकने|
तभी कहीं से आयी आंधी ने ,
तोड़ा  रिश्तों का ताना बाना है|
तुम करीब होतीं तो तुमसे ज़रूर कहता…
मैंने सिर्फ तुमको अपना माना है…..
             
                                    --देवांशु

शुक्रवार, 4 मार्च 2011

चाँद का हिस्सा…

खुशनुमां सा है समां , शायद मेरी तबियत ही नासाज़ है,

यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|

 

घटता है, बढता है,  फिर  संभालता है अक्सर ,

पर इस बार ठहरा सा है , एकदम निःशब्द निष्ठुर…

कोई रोता ,  उफनाता , दहलाता ,  डगमगाता सा,

खत्म होने का सबकुछ, शायद यही आगाज़ है|

यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|

 

जीवन कि होती एक ही रीत, एक सपेरा एक लुटेरा,

एक ही जुगनू, एक ही रोशनी, एक उजाला एक अँधेरा,

एक ही  मौजू , एक ही फलसफा, एक ही दरिया, एक किनारा,

एक ही मौशिकी, एक ही तराना, पर बदलती सी हर आवाज़ है,

यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|

 

खुशनुमां सा है समां , शायद मेरी तबियत ही नासाज़ है,

यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|

 

                                                                                             --- देवांशु

मंगलवार, 1 मार्च 2011

सबसे पहले परिचय…..

बात बहुत सीधी सी है, और शायद बहुत आम …ब्लाग का टाइटिल पढ़ के हर कोई समझ गया होगा कि… आ गया एक और दिल जला आशिक….अपने अधूरे इश्क कि दास्ताँ सुनाएगा और फिर उनपे लिखी टिप्पणियों को पढ़ कर ये आहें भरेगा …” वो ही नादाँ थी..वरना देखो मेरा प्यार कितना सच्चा है….हर कोई मेरी फीलिंग्स कि तारीफ़ कर रहा है"…
अगर आप ने भी ये सब सोंचा है तो शायद काफी हद तक ठीक ही सोंचा है..पर शायद पूरा नहीं…
हर किसी कि जिंदगी में प्यार के अलग अलग मायने होते हैं…मेरी जिंदगी में भी हैं..मैं शायद प्यार के लिए जी तो सकता हूँ..पर शायद उसपे मरना गंवारा नहीं है…जिसने जिंदगी से प्यार नहीं किया …मेरे लिए उसने किसी से प्यार नहीं किया….
फंडा थोडा ज्यादा हो गया …थोडा दर्शन को एक तरफ रखते हैं…और यथार्थ कि बातें करते है…तो मेरा परिचय…नाम देवांशु …काम सूचना प्रोद्योगिकी में सॉफ्टवेर इंजिनियर…कभी कभी कुछ लिख लेता हूँ…दो चार अपनी तारीफ़ करने वालों का जमघट चारों ओर जमा कर लिया है…उन्ही को कुछ सुना दिया…और तारीफ़ पा ली…इसी में खुश हूँ…पर ये ब्लॉग्गिंग का चस्का नया है…देखते हैं कितने दिन चलता है…
इसके आलावा अपने बारे में समझने का मौका थोडा कम दिया है अपने आप को…किसी के बारे में ज्यादा जानना भी खतरनाक है…अपने बारे में भी..साथ रहा तो धीरे धीरे सीख जाऊंगा…पर खतरे कि घंटी बजने से पहले तक……फिर मिलूँगा…तब तक ….हँसाना ज़रूरी है हंसते रहिये….कोई ना मिले तो खुद पे हंसिये..पर हंसिये ज़रूर….