रविवार, 6 मार्च 2011

कमी “ तुम" की….

ये जिंदगी तब से रोशन है ,
जब से तुमको जाना है|
है सांसों की बदली परिभाषा ,
जब से तुमको जाना है|
तुम करीब होतीं तो तुमसे ज़रूर कहता…
मैंने सिर्फ तुमको अपना माना है…..

जिंदगी का मकसद सिर्फ जीना तो नहीं,
साथ में कुछ खोना और पाना  है,
कभी हंसना, कभी हंसाना,
कम रोना और खूब गुनगुनाना है|
पर बिन तुम्हारे इनमे से मिलेगा क्या??
मकसद मेरा बहुत कुछ यही कि तुम्हे अपनाना है|
तुम करीब होतीं तो तुमसे ज़रूर कहता…
मैंने सिर्फ तुमको अपना माना है…..

एक दिन  की  बात तो याद होगी तुम्हे,
कहीं भाग जाने कि सोंची थी हमने|
फिर बनाये बातों के दरिये, खाबों के पुल,
दिखने लगे हर पल सुनहरे, लगे हर दिन चमकने|
तभी कहीं से आयी आंधी ने ,
तोड़ा  रिश्तों का ताना बाना है|
तुम करीब होतीं तो तुमसे ज़रूर कहता…
मैंने सिर्फ तुमको अपना माना है…..
             
                                    --देवांशु

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां । शुभकामनाएं

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  2. बहुत ही सुन्दरता से भावो से व्यक्त किया गया है...सबसे अच्छी पंक्तियाँ यही लगी ,जिनमें जीवन कि सचाई को बताया गया
    "जिंदगी का मकसद सिर्फ जीना तो नहीं,
    साथ में कुछ खोना और पाना है,
    कभी हंसना, कभी हंसाना,
    कम रोना और खूब गुनगुनाना है"|

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