बात बहुत सीधी सी है, और शायद बहुत आम …ब्लाग का टाइटिल पढ़ के हर कोई समझ गया होगा कि… आ गया एक और दिल जला आशिक….अपने अधूरे इश्क कि दास्ताँ सुनाएगा और फिर उनपे लिखी टिप्पणियों को पढ़ कर ये आहें भरेगा …” वो ही नादाँ थी..वरना देखो मेरा प्यार कितना सच्चा है….हर कोई मेरी फीलिंग्स कि तारीफ़ कर रहा है"…
अगर आप ने भी ये सब सोंचा है तो शायद काफी हद तक ठीक ही सोंचा है..पर शायद पूरा नहीं…
हर किसी कि जिंदगी में प्यार के अलग अलग मायने होते हैं…मेरी जिंदगी में भी हैं..मैं शायद प्यार के लिए जी तो सकता हूँ..पर शायद उसपे मरना गंवारा नहीं है…जिसने जिंदगी से प्यार नहीं किया …मेरे लिए उसने किसी से प्यार नहीं किया….
फंडा थोडा ज्यादा हो गया …थोडा दर्शन को एक तरफ रखते हैं…और यथार्थ कि बातें करते है…तो मेरा परिचय…नाम देवांशु …काम सूचना प्रोद्योगिकी में सॉफ्टवेर इंजिनियर…कभी कभी कुछ लिख लेता हूँ…दो चार अपनी तारीफ़ करने वालों का जमघट चारों ओर जमा कर लिया है…उन्ही को कुछ सुना दिया…और तारीफ़ पा ली…इसी में खुश हूँ…पर ये ब्लॉग्गिंग का चस्का नया है…देखते हैं कितने दिन चलता है…
इसके आलावा अपने बारे में समझने का मौका थोडा कम दिया है अपने आप को…किसी के बारे में ज्यादा जानना भी खतरनाक है…अपने बारे में भी..साथ रहा तो धीरे धीरे सीख जाऊंगा…पर खतरे कि घंटी बजने से पहले तक……फिर मिलूँगा…तब तक ….हँसाना ज़रूरी है हंसते रहिये….कोई ना मिले तो खुद पे हंसिये..पर हंसिये ज़रूर….
दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है...
मंगलवार, 1 मार्च 2011
सबसे पहले परिचय…..
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सु-स्वागतम् !
जवाब देंहटाएंपहिल टिपैया बने कै मन कहिस :)
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पंकज जी की बज-शेयरिंग से आया , सुन्दरम् !
मजमून प्रेमात्मक है , उम्मीद है प्रेम-प्रविष्टि-नगीने देखने को मिलेंगे ! शुभकामनाएँ !
फिर कभी लिखूंगा आज तो बस इतना ही कि कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ क्या कमेन्ट करूं ?
जवाब देंहटाएं:-P
धन्यवाद अमरेन्द्र एवं दर्पण भाई...कहते हैं ..कोयल कि कोठरी में कैसे हू सयानो जाये...एक लीक काजल कि लागि है पे लागि है...
जवाब देंहटाएंलग गया हमें भी ये रोग पंकज भाई के साथ रहते रहते ...आगे देखते हैं...ये काजल आप लोगो कि आँखों में बस पाता है....या फिर मेले में बस इसका प्रचार ही होता रहता है ... या वो भी नहीं हो पाता....एक बार फिर से बहुत बहुत धन्यवाद...
सुस्वागतम देवांशु
जवाब देंहटाएंअच्छा लगेगा आपको पढना....लिखते रहिए...शुभकामनाएं
स्वागत है. आईये.
जवाब देंहटाएंस्वागत ! यह तो हुई औपचरिकता !!!
जवाब देंहटाएंअब एक कठोर सत्य से वाकिफ करा दूँ.... यहाँ कमेन्ट कर रहा हूँ की आप भी हम पर कमेन्ट देंगे, वरना यह मेरा आखिरी कमेन्ट ही होगा यहाँ पर... इधर ऐसीच चलता है गुरु !
यह टेस्ट कमेन्ट है, मतलब लेना देना बराबर होना चाहिए, यह कहना है.
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें.
जवाब देंहटाएंस्वागत, पसंद आया आपका अंदाज़
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रश्मि जी , समीर एवं संजीत भाई आपके उत्साह वर्धन के लिए...सागर भाई आपने ब्लॉग्गिंग के जिस शाश्वत सत्य से परिचय कराया है उसका अक्षरशः पालन किया जायेगा...वैसे मैंने आपके ब्लॉग "सोचालय" को पढना प्रारंभ कर दिया है..देखिये टिपण्णी करने की गुस्ताखी कब तक कर पाता हूँ...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंअब यही चाय पीने आते रहेंगे भाईसाब.. :)
पहली बार ब्लॉग पे आया तो कवितायें पढ़ने के बाद परिचय पढ़ना जरूरी भी था :)
जवाब देंहटाएंऔर देखिये, यहाँ तो सब अपने भाई लोग ही मौजूद हैं...सागर भाई ने क्या डेडली कमेन्ट दिया है :)
AAp achha likh sakte hain Devaanshu ji..Pyaar jeevn me raah dikhane ka kaam bhi karta hai..Blog ki raah par apni muhabbat ke taraane lie aap chal pade hain.. Dil bahlaane ko Ghalib khyaal achha hai...saduwaad.
जवाब देंहटाएंपरिचय देने का तरीका वाकई हटकर है...और आपकी रचनाएँ भी बेहद सुंदर हैं...तो लेखनी को विश्राम दिए बिना ब्लॉग्गिंग का ये चस्का बरक़रार रखिये....उम्मीद है हमें आगे भी काफी कुछ अच्छा पढने को मिलता रहेगा.
जवाब देंहटाएंमतलब दो साल पूरे हो गये थे पहली मार्च को ही। वाह!
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