खुशनुमां सा है समां , शायद मेरी तबियत ही नासाज़ है,
यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|
घटता है, बढता है, फिर संभालता है अक्सर ,
पर इस बार ठहरा सा है , एकदम निःशब्द निष्ठुर…
कोई रोता , उफनाता , दहलाता , डगमगाता सा,
खत्म होने का सबकुछ, शायद यही आगाज़ है|
यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|
जीवन कि होती एक ही रीत, एक सपेरा एक लुटेरा,
एक ही जुगनू, एक ही रोशनी, एक उजाला एक अँधेरा,
एक ही मौजू , एक ही फलसफा, एक ही दरिया, एक किनारा,
एक ही मौशिकी, एक ही तराना, पर बदलती सी हर आवाज़ है,
यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|
खुशनुमां सा है समां , शायद मेरी तबियत ही नासाज़ है,
यूँ तो खुश दिखता है सबको , पर मेरे हिस्से का चाँद मुझसे नाराज़ है|
--- देवांशु
Nice........very beautiful
जवाब देंहटाएंClose to heart!!!
जवाब देंहटाएंOne can feel all...
Expressive..
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wish u all luck Devanshu!!!