ना चाहिए कोई जीवेत शरदः शतं का वरदान,
गर दे सकता है तो खुदा मुझे नेमत दे ,
लम्हों को रोक सकने की!!!
वो एक लम्हा जब वो मेरे सबसे करीब हो,
मैं उसकी धड़कन सुन सकूं ,
उसे भी मेरे साँसें सुनाई दे रही हों,
हाँ बस वही लम्हा, थाम लूं, फ्रीज़ कर दूं |
और जब वो लम्हा गुज़रे ,
फिर गर तू मौत भी बख्शे तो नूर समझूंगा|
तू ही बता जब जिन्दगी खुद लम्हों में जीती है ,
तो क्या ज़रुरत है मुझे सौ बरस जीने की !!!!
--देवांशु
बस एक लम्हा ही ज़िन्दगी है
जवाब देंहटाएंhmm...achha hai.
जवाब देंहटाएंसच है......
जवाब देंहटाएंतेरे साथ गुज़रा वो एक पल....और हमने पूरी जिंदगी जी ली....
अनु
बहुत अच्छे...सच कतरा-कतरा बहती है, बहने दो...जीने को दो पल भी काफी, जीने को सौ बरस भी कम..
जवाब देंहटाएंक्या बात है जी! वाह!
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंsahi jaa rahe ho :-)
जवाब देंहटाएंउस एक लमहे को पाने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत ज्यादा नीरस ज़िन्दगी
जीना पड़े ...
नीरस ज़िन्दगी और
इंतज़ार भरी ज़िन्दगी ...
और वह लम्हा आ कर गुज़र जाए,
न रुके न थमे ...
शेष रह जाए नीरस
और इंतज़ार भरी ज़िन्दगी
जिसे जी लें फिर
उस एक लमहे के लिए।
बहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंकलकत्ता की दुर्गा पूजा - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दुर्गा पूजा की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ! आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंवाह छा गये :)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंSaari posts padh k aapko similar thoughts kaise aa jate hain? Har post dil ko kaise chhoo jati h... abhi haal haal me 3 posts pe aapka same comment dekh chuki hu :-/
हटाएंjindagi ek pal:))
जवाब देंहटाएंकाश सब कुछ फ्रीज़ हो सकता ...तो जिंदगी अपनी मुताबिक आसान हो जाती
जवाब देंहटाएंहाँ बस वही लम्हा, थाम लूं, फ्रीज़ कर दूं
जवाब देंहटाएंbhavpurn