शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

मुस्कान….

रुका सा,
कुछ ठहरा हुआ सा,
ये वक़्त,
कुछ कहने की,
कोशिश सा करता हुआ|

सब जानकर अनजान,
अपना हो के भी,
बेगाना |

वो सब भूल,
जो अब तक है बीता,
दौडने लग जाता,
और जीने लगता,
वही जिंदगी,
जो एक बार ही सही,
पर प्यार से,
“तुम" मुस्कुरा देतीं…

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