वो चंद सिक्के,
जो तुमने कभी ,
बड़े अपनेपन से,
लड़ झगड़ कर,
उस सड़क किनारे बैठे,
चाय वाले से वापस लिए थे |
चाय कुछ ज्यादा,
मीठी हो गयी थी,
और बारिश केवल छू के गुज़री थी,
भीगा तो मै सिर्फ,
तुम्हारे प्यार में था|
थोड़ा सा ही था प्यार,
और ज़रा सा,
इकरार…
और फिर जब तुम,
चली गयी मेरी दुनिया से,
वो चाय वाला भी ,
हँसता सा दिखता है मुझपे|
और मैं,
अक्सर फैला लेता हूँ,
वही सिक्के,
अपने बिस्तर पर,
की इन्ही में तो था,
वो हक, वो एहसास|
सोंचता हूँ ,
एक दिन इन्हें उसी,
चाय वाले को दे आऊँगा..
कि कभी तो तुम आओगी वहाँ,
इन सिक्कों से ही सही,
मुझे याद कर लेना,
इनकी कीमत अदा हों जायेगी…..
जो तुमने कभी ,
बड़े अपनेपन से,
लड़ झगड़ कर,
उस सड़क किनारे बैठे,
चाय वाले से वापस लिए थे |
चाय कुछ ज्यादा,
मीठी हो गयी थी,
और बारिश केवल छू के गुज़री थी,
भीगा तो मै सिर्फ,
तुम्हारे प्यार में था|
थोड़ा सा ही था प्यार,
और ज़रा सा,
इकरार…
और फिर जब तुम,
चली गयी मेरी दुनिया से,
वो चाय वाला भी ,
हँसता सा दिखता है मुझपे|
और मैं,
अक्सर फैला लेता हूँ,
वही सिक्के,
अपने बिस्तर पर,
की इन्ही में तो था,
वो हक, वो एहसास|
सोंचता हूँ ,
एक दिन इन्हें उसी,
चाय वाले को दे आऊँगा..
कि कभी तो तुम आओगी वहाँ,
इन सिक्कों से ही सही,
मुझे याद कर लेना,
इनकी कीमत अदा हों जायेगी…..
-- देवांशु
bahut hi sundar peskas
जवाब देंहटाएंआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
सेंटी करके छोड़ोगे. तुम भी ना जालिम हो...
जवाब देंहटाएंबढ़िया...
जवाब देंहटाएंchho liyaa dil ko aapne...
जवाब देंहटाएंhttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
:-(
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