उस घने हरे भरे जंगल को देखकर कुछ यूँ लगा,
कि बारिश भी कितनी पाक होती है |
और जब यही बारिश पेड़ों के पत्तों से छनकर ज़मीं पर गिरती है,
तो इस ज़मीं को ज़न्नत सा खुशनसीब कर जाती है|
जंगल की उसी ज़मीं को देख ये खयाल जागा,
कि चलो वहीं चलें,
छोड़ आयें अपना रिश्ता वहीं |
छोड़ आयें अपना रिश्ता वहीं |
इस रिश्ते का ना तो कोई नाम रख पाए हम,
न किसी और ने तवज्जो ही बख्शी,
कम से कम उस मुक़द्दस ज़मीं पर,
इसे ज़न्नत तो नसीब हो जायेगी |
चलो इक बार ही सही, उसी जंगल में चलते हैं !!!!
-- देवांशु
chalo.. :-)
जवाब देंहटाएंजहाँ पाक रिश्तों को जीवन मिलता है वहाँ बार बार जाने का मन करता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंvery nice..
जवाब देंहटाएंshayad har dil me kabhi ye bhav aate hain..