बुधवार, 13 अप्रैल 2011

उम्मीद…

 

आज दिल में एक उम्मीद जगी है,

आज आँखों ने फिर दिल से पूंछा है,

आज दिल ने दिमाग से ज्यादा सोंचा है,

जाने कौन सी बात दिल को इतनी चुभी है…

 

याद आ रही है उसकी या वो मेरे पास है,

आँखें खुली हैं या सिर्फ जगने का एहसास है,

कह दो ये सपना नहीं हकीकत है, हकीकत,

तुम्हारी हर खुशी अब तुम्हारे साथ है….

 

ये नहीं कहता कि तुम बिन मर जाऊंगा,

पर सच  है कि शायद जी भी नही पाउँगा,

करेंगी हर घड़ी तुम्हारा ही इन्तज़ार नज़रें,

बस इन्ही उलझनों में कहीं खो जाऊंगा…

 

पर मुझे अब भी उम्मीद है, मुझे अब भी विश्वास है,

मुझे अब भी यकीं है मुझे अब भी ये आस है,

मिलेगी वो खुशी कभी न कभी मुझे,

जिसकी मुझे न जाने कब से तलाश है….

 

                                                    --- देवांशु

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई क्या लिखा है
    मेरा भी ब्लॉग dekhe
    http://blondmedia.blogspot.com/

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  2. mujhe ab bhi ye yakin ye aas hai..
    milegi vo khushi kabhi n kabhi mujhe
    jiski mujhe n jaane kab se tallash hai?
    wahhh.bahut aasha vadi!

    jaruri hai ki ummeed ka daaman thama jaay
    isse pahle ki hamaari bidaai ka saamaa aaye!

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